अम्मा ( वृद्धावस्था )
अम्मा ( वृद्धावस्था )
एक थी अम्मा, बहुत पुरानी
बड़े संघर्ष की थी उनकी कहानी
मन कोमल पर जुबान थोड़ी तीखी
दुनिया के संघर्षों से रहती आंख भीगी।
पूत कमाऊ, पर बहुएं थी थोड़ी ठेढ़ी
मौका मिलते ही सबने आंख फेरी
अकेली अम्मा को छोड़ चल दिए
बुढ़ापे के सहारे भी उनको छल दिए।
अपना था ठौर पर नही था ठिकाना
पास पड़ोस तो था पर सब था बेगाना
समझ के उनको बेचारी सब देख रहे लाचारी
जिसने भी डाली लालच से भरी नजर डाली।
रिश्ते नाते सब कन्नी काट रहे थे
बुढ़िया कब मरेगी, देख बाट रहे थे
बचा खुचा जो है, चलो छांट लेंगे
पैसा, जेवर, गहने और घर मिल के बांट लेंगे।
जीवन के अंतिम समय में उनको ये समझ आया
मोह सब बेकार, असली प्यार सिर्फ माया
ना बेटे, ना बहुएं, ना रिश्ते और न ही नाते
धन दौलत से पराए भी अपने हैं बन जाते
अगर जेब हो खाली हर रिश्ता समझता जी की जंजाली।।
आभार – नवीन पहल – १०.०२.२०२२ 🙏🏻🙏🏻🌹💐
# लेखनी वार्षिक काव्य प्रतियोगिता हेतु
Swati chourasia
01-Mar-2022 03:56 PM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
Reply
Seema Priyadarshini sahay
12-Feb-2022 09:05 PM
बहुत खूबसूरत
Reply
नवीन पहल भटनागर
20-Feb-2022 01:04 PM
धन्यवाद जी
Reply
Shama singhal
11-Feb-2022 11:29 AM
सच्चाई से ओतप्रोत आपकी रचना
Reply
नवीन पहल भटनागर
20-Feb-2022 01:04 PM
धन्यवाद आपका जी
Reply